Ahatisham Alam Poems

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81.
इतने क़ाबिल हैं कि

उन्हें कभी मेरे दर्द का एहसास नहीं होता
हमेशा ही वजूद मेरा बिखर जाता है
मैं चलता हूँ हमेशा नयी राह तलाशने
ज़माने को लगता है किधर जाता है।
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84.
अश-आर

कभी वो सोचते हैं कि वो जीत गये और मैं हार गया
बज़ाहिर वो ख़ुश हक़ीक़त में मैं ही बाज़ी मार गया।

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85.
*गुलदस्ता*

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मेरी वीरानियों को गुलशन बनाया क्यों था
हमसफ़र नहीं था मेरा तो रास्ता दिखाया क्यों था
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वो हक़ीक़त में मेरा हो नहीं सकता है
जिसको चाहा तो मिटाया खुद को
मैं तड़प कर ही बिखर जाता हूँ
नग़मा-ए-दिल जब भी सुनाया ख़ुद को
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वो क्या समझेंगे भला
दर्द कितना है मुझे
किस क़दर ख़ुद में ही
टूट गया हूँ
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88.

कभी जो तेरा था दिल दुखाया
लो दुख रहा मेरा भी दिल अब तो
वो जो फ़ैसला किया था तुमने
वही है मेरी भी मन्ज़िल अब तो
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89.

ये मैं ख़्वाब देखता हूँ
कि तू मेरा हमसफ़र है
जो हुआ फ़ना ये आलम
तेरी याद का असर है।
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90.
Life Is What You Try.

Why do you feel alone in your life?
For you is there no strife?
Success is what you think
Love is what you cry.
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