जब रात के आँचल आ जाये..... Poem by M. Asim Nehal

जब रात के आँचल आ जाये.....

Rating: 5.0

चाँदी के चमकते सितारों को
सोने पे सजाया करते थे
जब रात का आँचल आ जाए
सुबह को पुकारा करते थे

जब धुप है थक कर सो जाती
इस जगह से जाकर खो जाती
तेलों में भिगाकर दीयों को
रातो में जलाया करते थे - -
जब रात का आँचल आ जाएँ

मेरे ख्यालों मे तुम सज और
सवर कर आ जाओ
इसी उम्मीद मे हम तेरे लिए
गीतों को बनाया करते थे

Monday, January 4, 2016
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
T Rajan Evol 05 January 2016

Chamak rahe hain sitare....Maza aa gaya ab toh...Ke kavita padhkar Sama Cha gaya ab toh

1 0 Reply
Kumarmani Mahakul 05 January 2016

Decorating light of silver with gold and shining is very much amazing in this imagery drawn with real sense. Interesting poem shared really.10

1 0 Reply
Rajnish Manga 04 January 2016

इस मधुर गीत की प्रशंसा करने के लिए उपयुक्त शब्द ढूंढना मुश्किल है. बस इतना कहूँगा कि भाषा और कथन दोनों लाजवाब हैं. कविता से ही एक उदाहरण सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूँ: तेलों में भिगाकर दीयों को / रातो में जलाया करते थे -/ जब रात का आँचल आ जाए / सुबह को पुकारा करते थे

1 0 Reply
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