मन का प्रतिबिंब ~ Poem by M. Asim Nehal

मन का प्रतिबिंब ~

Rating: 5.0

मन का प्रतिबिंब - एक स्थिर तालाब
जब जीवन सुचारू रूप से चल रहा हो

मन का प्रतिबिंब - बवंडर, तालाब में लहर
जब जीवन चौराहे पर हो

दिल का प्रतिबिंब - सुंदर गुलाब
जब प्यार हवा में होता है।

हृदय का प्रतिबिम्ब - काँटों से लहूलुहान
जब प्यार खो जाता है और आकर्षण चला जाता है।

आँखों का प्रतिबिंब - चमकते सितारे
जब सपने हकीकत में बदल जाते हैं।

आँखों का प्रतिबिंब - आँसुओं से भरा
जब सपने खो जाते हैं और प्यार चला जाता है ।

Saturday, May 21, 2022
Topic(s) of this poem: reflection
COMMENTS OF THE POEM
Deepak S S 23 May 2022

Ek samjh bhujh wali kavita, Bahut badiya.

0 0 Reply

Wah: आँखों का प्रतिबिंब - आँसुओं से भरा जब सपने खो जाते हैं और प्यार चला जाता है ।

1 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success