ताज Poem by abhilasha bhatt

ताज

Rating: 5.0

एे ताज
तेरी हस्ती क्या है
तेरी आहतों में
ये गूँजती
आह किनकी हैं
उनकी
जिन्होंने तुझे
ख्वाबों में सजाया
नीन्दों में सँवारा
हाथों से बनाया
उँगलियों से तराशा
अपनी ज़िंदगी के कईं बरस
तुझ पर लुटाए
मगर तूने
और तुझको बनाने वाले ने
सरे आम
उन मज़लूम
तुझको दुनिया कि निगाहों में लाने वालों के
हाथ बड़ी बेरहमी से कटवाए
तमाम दुनिया की नज़रों में
तु संगमरमर है सुफ़ैद माना
मगर तुझसे उन मासूम कारीगरों के ख़ू़न की
बू ज़रूर आती है
उनके प्यारों के रोने की
दर्द भरी सदा आती है
इसी लिए ही शायद
रातों में तू वीरान है
तन्हा है अकेलेपन से घिरा हुआ
रंग भी अब लगा है पड़ने फीका
शायद कुछ बरस बाद
तेरा रंग असली
लिपटा हुआ है जो लहू से उन
बद्किस्मत मासूम कारीगरों की दास्तान
सामने सारी दुनिया के किसी रोज़ सुनाए जाएँ
अरसों बाद ही सही
उनकी सदा जहाँन सारा सुन सके
मोहब्बत की निशानी का सच सामने दुनिया के आ सके

Wednesday, November 23, 2016
Topic(s) of this poem: life,truth
COMMENTS OF THE POEM
Akhtar Jawad 25 November 2016

I am sorry Abhilasha, all the famous historians have denied that those who built Tajmahal, their hands were cut. Tajmahal is the most beautiful building of the world and proud of India. I have no doubts that in the words of Oscar Wild it's a pearl of love.

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M Asim Nehal 23 November 2016

जो लोग ताज को मुहब्बत की निशानी समझते हैं वो ये भी जान लेंगे इस कविता को पढ़ लेने के बाद, वो लहू, वो आंसू जो कहीं लुप्त जो हो गए थे, उजागर हुए हैं इस कविता के बाद, इस दिल को झंझोड़ने वाली कविता के लिए मै आपको बधाई और धन्यवाद देता हूँ.

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Abhilasha Bhatt 24 November 2016

Thank u for ur kind words

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Rajnish Manga 23 November 2016

कवि ने बेहद संवेदनशीलता के साथ ताज महल से जुड़ी एक किंवदंती को आधार बना कर मुहब्बत के इस अज़ीम शाहकार का दुखांत चित्रण किया है. बहुत खूब.

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Mithilesh Yadav 23 November 2016

बद्किस्मत मासूम कारीगरों की दास्तान सामने सारी दुनिया के किसी रोज़ सुनाए जाएँ अरसों बाद ही सही उनकी सदा जहाँन सारा सुन सके .... great job after a lot of time mam liked it........... don't think any body would ever have described TAZ in that view point...... saalam aye mohabbat.....

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