कैसे कोइ कहे हाले दिल
कैसे कोइ बाटे किसी का दुख।
कैसे कोइ छुए किसी का मन
कैसॆ कोइ थामॆं किसी का हाथ।।
कैसे कोइ तोड़े ये बन्धन हृदय के
कैसे कोइ करे ये फासले पार।
कैसॆ कोइ तन को पंछी बनाये
उड़ कर जो जाये वो सागर के पार।।
कैसे कोइ…..
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I would like to translate this poem
Human emotions nicely penned.
Thank you Akhtarji.