वो ख्वाब
वो ख्वाब सिमट रहे थे इन बंद आँखों में,
जो तुम्हें पाना चाहते थे पर बंद थे इन बंद आँखों मे ।।
शायद इस मोहब्बत को मुकम्मल मुकाम ना मिल पाया,
इसलिए बंद थे शायद इन बंद आँखों में।।
कहने को बहुत कुछ था, पर कह कुछ भी नहीं पाये,
बस सिमट गए इन बंद आँखों मे।।
एक शेर अर्ज़ करना चाहता हूँ
ख्याल आया, तो ख्याल भी उसका आया,
जब आँखे बंद कि तो ख्वाब भी उसका आया।।
एक प्यारा सा एहसास मेरी नन्ही कलम से
(शरद भाटिया)
प्रेम की रसमय किन्तु एकतरफ़ा अभिव्यक्ति को समर्पित इस खूबसूरत रचना के लिए आपका धन्यवाद, शरद जी.
Baand aakhoon me simte hai raaz bahut kul jaye to mushkil hai bahut. Raaz ko raaz hi rahne do aur kwab ko khwab he rehne do. Bahut oomda kahal. Dhanyawad.
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Wah wah bandh ankhon ne sab kuch bayan kar diya...... Bandh ankhon se jo Bandagi ki hai uska jawab nahi..10************