रहती थी जो सदा संग मेरे, सुख में और दुःख में
चलती थी साया बन मेरा, राह में और ख्वाबों में
चमकती थी रौशनी बन, आँखों के दायरों में
आज छोड़ गयी वो मुझे, इन वीरान सफर की राहों में
किस लिए चलाती थी मुझे, किसके लिए चलती थी?
कैसा ये सफर था, कौन सी मंज़िल थी?
कुछ अधूरे सवालों को दिए हाथो में मेरे
आज गयी वो छोड़ कर मुझे, लड़ने अपने ख्यालों से
मिली रही मुझ से इतना फिर क्यों जुदा हो गयी?
जाते जाते ज़िन्दगी पर अपना रंग चढ़ा गयी
ढूंढ़ता हूँ अब मिलती नहीं जब, खो चूका सब
ये ज़िन्दगी कहाँ से चली कहाँ के लिए, ये जाने रब
It is a brautiful poem in the philosophical ground beginning with heart touching lines like.. ..रहती थी जो सदा संग मेरे, सुख में और दुःख में चलती थी साया बन मेरा, राह में और ख्वाबों में चमकती थी रौशनी बन, आँखों के दायरों में आज छोड़ गयी वो मुझे, इन वीरान सफर की राहों में. Enjoyed. Thanks for sharing... 10
It is a brautiful poem in the philosophical ground beginning with heart touching lines like.. ..रहती थी जो सदा संग मेरे, सुख में और दुःख में चलती थी साया बन मेरा, राह में और ख्वाबों में चमकती थी रौशनी बन, आँखों के दायरों में आज छोड़ गयी वो मुझे, इन वीरान सफर की राहों में. Enjoyed. Thanks for sharing... 10
It is a brautiful poem in the philosophical ground beginning with heart touching lines like.. ..रहती थी जो सदा संग मेरे, सुख में और दुःख में चलती थी साया बन मेरा, राह में और ख्वाबों में चमकती थी रौशनी बन, आँखों के दायरों में आज छोड़ गयी वो मुझे, इन वीरान सफर की राहों में. Enjoyed. Thanks for sharing... 10
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Kissi ke haath n aaayi zindagi... dhoondte dhoondte hum khud hi kho jaate hai lekin kuch haath nahi aata. khoobsurat ehsaas. parhkar acha laga.