गया प्रसाद आनन्द की कविता 'शिक्षक राष्ट्र निर्माता' Poem by Gaya Prasad Anand

गया प्रसाद आनन्द की कविता 'शिक्षक राष्ट्र निर्माता'

शिक्षक / राष्ट्र निर्माता
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एक मंच पर माइक से गुरू जी
कुछ बोल रहे थे,
अपने जीवन के खट्टे मीठे अनुभव
घोल रहे थे,
गुरू जी की इन बातों से
एक नेता बहुत चिढा,
उससे रहा नहीँ गया
वो आगे बढा ।
गुरू जी से छीन लिया माइक
और अकड़ कर बोला
ऐ! मास्टर तू बहुत बोलता है
तूं पूरे समाज को
एक नज़र मे तौलता है
तुझे नहीँ पता
भाड़ मे जाये ये जनता है
अपना काम बनता है तो बनता है
पूरा देश
हम जैसे नेताओं से ही चलता है
नेता की बातें सुन
गुरू जी मन्द मन्द मुस्काये
उस नेता को सभ्यता का पाठ पढ़ायें
बोले जिस दिन शिक्षक चुप होगा
पूरा समाज गूँगा हो जायेगा
इन बेजुबान बच्चों को कौन पढ़ायेगा
हाँ मैने ही
तुम जैसों को जुबान दी है
बोलना सिखाया है
और गलतियों पर
कान पकड़ मुर्गा बनाया है
और हाँ मैने ही
सभी बच्चों को
बिना किसी भेदभाव के
एक जैसी शिक्षा दी है संस्कार दिया है
माँ बाप के जैसा प्यार दिया है
उनके जीवन की सारी खुशियाँ दी है
उनके सपनो का संसार दिया है
बिना किसी स्वार्थ के
छोटे छोटे अबोध बच्चों को
एक नई पहचान दी
बिना पंख के ही उन्हे ऊँची उड़ान दी है
और हाँ
एक बात याद रखना
डी. एम॰, एस. पी., कमिशनर,
वकील, डाक्टर, इन्जीनिर
छोटा बड़ा कर्मचारी
नेता हो या अधिकारी
ये सब शिक्षक ही बनाता है
इन्हे ज्ञान के सागर में नहलाता है
अनुशासन की कसौटी पर कसाता है
शिक्षा की अगिन में तपाता है
इनमें ज्ञान की ज्योति को जलाता है
तब जाकर जाकर
इन्हे इनके लक्ष्य तक पहुँचाता है
एक आज्ञाकारी शिष्य ही
इन सब गुणों को पाता है
एक आज्ञाकारी शिष्य ही
आदर्श नागरिक कहलाता है
गुरू जी की बात सुनकर
नेता जी दंग रह गये
बोले छमा करे गुरुदेव
आप बहुत बड़ी बात कह गये
आपका सादर सम्मान है
आप बहुत ही महान हैं
मेरे पिता के समान हैं
मै आज जो कुछ भी हूँ
ये आपका आशीर्वाद है
आपके मार्गदर्शन बिना
ये जीवन बर्बाद है
गुरू की महिमा
आदि है अनन्त है
गुरू राष्ट्र निर्माता है
पथप्रदर्शक है सन्त है
ये ' आनन्द ' सभी गुरुओं, राष्ट्रनिर्माताओं को
प्रणाम करता है
ये अपनी रचना
सभी गुरुओं के नाम करता है ।
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गया प्रसाद आनन्द
(आनन्द गौंडवी)
चित्रकार एवं कवि
mob.9919060170

गया प्रसाद आनन्द की कविता 'शिक्षक राष्ट्र निर्माता'
Wednesday, March 28, 2018
Topic(s) of this poem: educational,hindi
COMMENTS OF THE POEM
Ram NarayaN Sharma 09 June 2019

waah gurudev. bahut achchhi.

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