बज़ाहिर तौर पर इसका इल्म किसी को नहीं कि एक दिल में कितने दरवाजे होते हैं
और कितनी चाबियाँ उन दरवाज़ों को खोल सकती है हां लेकिन मैंने इसका नतीजा देखा है
अगर यह मुख्तलिफ चाबीयों से इसे खोले तो क्या हो सकता है
एक बार मैंने देखा किदिल खोला गया नफरत की चाबी से
और दंगो-फसादात का आग़ाज़ हुआ
एक बार मैंने देखा कि इस दिल को किसी ने मज़हब की चाबी से खोल दिया और नतीजा यह निकला
की लोग एक दूसरे को अपनी ओर मत्तासीर करने में उलझ गए
एक बार मैंने देखा कि इस दिल को किसी ने शक़ की चाबी से खोल दिया
अंजाम - बद गुमानी और फरेब
और जब इसे प्यार की कुंजी से खोला गया तब दोस्ती और अमन हासिल हुआ
ख़ुदा ने हमें इख़्तियार दिया है कि हम जिस चाबी से चाहे इस दिल को खोल लें
तो आप क्या चाहते हैं किस चाबी का इस्तेमाल करना पसंद करेंगे आप?
Kya baat hai . Andaz e bayan mukhtalif aur bechain karne wali hai.
एक खुबसूरत रचना का बेहद खुबसूरत अनुवाद. जैसा अनूठा विषय आपने लिया है उतना ही गहरा व दिलचस्प उसका विश्लेषण है. दिलों के दरवाजे तथा उनकी अलग अलग चाबियाँ.... यह तो कमाल है. धन्यवाद असीम जी.
Kamal ki soch lagayi hai , kitne hi tarteeb aur jouhar dekhe, isko padh kar ek umeed aayi hai.