शीर ❤ Poem by Ahtesham Poetry

शीर ❤

मचल जाता हूँ जब जब देखता तस्वीर हूँ उसकी,
है कितनी खूबसूरत रूह उसकी डूब जाता हूँ।
नहीं है खूबसूरत चाँद सी ना रात जैसी है,
अंधेरे में उजाला करने वाली चांदनी सी है।
है अब भी बचपना उसमे ये उसको साज़ करता है,
ना जाने कितनों की तबीयत नासाज़ करता है।

Wednesday, April 3, 2019
Topic(s) of this poem: love
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