गम नहीं है मुझे दिल का यूँ बिखरने का Poem by Aftab Alam

गम नहीं है मुझे दिल का यूँ बिखरने का

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गम नहीं है मुझे दिल का यूँ बिखरने का,
समेट लुंगा मैं इसे, क्या होगा मेरे सपनो का
चोट भी ऐसी लगी की रूह भी थर्रा उठी ,
एक तरफ तो मैं रूठा वो भी रहने लगी रूठी रूठी,
शामे गम में वो सुबह की फिराक़ लिये,
बड़े अदब से ना जाने किस जानिब वो चल दिये
ढूंढता ऊनको रहा गली गली शहर शहर
अब मिले वो धूप में इस विरानी दोपहर

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Aftab Alam

Aftab Alam

RANCHI,
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