***देवो संग दीवाली *** Poem by KALYAN SINGH CHOUHAN

***देवो संग दीवाली ***

***देवो संग दीवाली ***
देखो खेल रहे आज वे देवो संग दीवाली
गंगा संग देखो चढ़ा आज सितारों पे रंग
अपनाओ, अब गंगा सुधार का नया तुम ढंग
कि दुनिया पूरी उसे देखकर रह जाये दंग
बस मत करना अब इस माँ से मोह तुम भंग
मत लगने देना कभी इस ढंग को तुम जंग
अगले वर्ष जब मनेगी देवो संग दीवाली
रोशन होवोगे तुम ओर रोशन होगी दुनिया मे
मेरी माँ -भारत माँ गंगा की रखवाली
बहता नीर ह माँ का झरना
जलते दीप ह इस माँ का गहना
हाँ बहती-भटकती लाशे भी इस माँ को सहना
हाँ भुझते दीप भी इस माँ को सहना
अब तो जरुरत इसे सवच्छ रखने की
मुझे कुछ भी न कहना
बस मेरा यही हे कहना
अब तुम मुझे हमेशा स्वछ रखना
अब जलते दीप की ज्योति तुम न भुझने देना
अब तैरती लाशे बहकने न देना
और बहक भी जाये तो भटकने न देना
अ रखवालो-अ मतवालो -अ तख्तवालो
में न जाणु जात पात -न जाणु दुनिया जो मतवाली
प्रलय रोक पहले भी करती थी
ओर अब भी करुँगी तुम सबकी रखवाली
देखो खेल रहे आज वे देवो संग दीवाली
क्या सब खेलेंगे अब गंगा सवच्छ दीवाली
क्या सब खेलेंगे अब देवो संग दीवाली

kavikalyanraj@yahoo.in
99280-43855 -

Wednesday, November 12, 2014
Topic(s) of this poem: motivation
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ganga sangh diwali
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