***मुबारक़ नया साल***
आज मैने आसमा को चमकते देखा है ।
मैने आज तारों को लिपटते देखा है
आज मैने सूरज को मुस्कराते देखा है
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**केश-लेश**
ये देशो का देश है ।
यहाँ केश ही केश है ॥
मोदीजी आपके राज में ।
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***नारी को समझो***
ये नारी नहीं है इतिहास की!
कड़ी समझो आज के समाज की! !
ठोकर नहीं है इस राज़ की
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***सत्ता का केमिकल*****
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ये सत्ता का केमिकल
चारों तरफ फैलता हलचल
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- - बहू की शर्ते - -
सास लंगड़ी हो चिल्लाये, पर चल न पाये
ननद गूंगी हो कहना चाहे, पर कह न पाये
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***देवो संग दीवाली ***
देखो खेल रहे आज वे देवो संग दीवाली
गंगा संग देखो चढ़ा आज सितारों पे रंग
अपनाओ, अब गंगा सुधार का नया तुम ढंग
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****थाली ***
वो गीत कहाँ से गाऊंगा ।
जो सुर न बनाउंगा ॥
वो सुर कहां से लाऊंगा
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***मुबारक़ नया साल***
***मुबारक़ नया साल***
आज मैने आसमा को चमकते देखा है ।
मैने आज तारों को लिपटते देखा है
आज मैने सूरज को मुस्कराते देखा है
मैने आज चाँद को उतरते देखा है
आज मैने बादलो को ठुमकते देखा है
मैने आज धरा को खिल-खिलाते देखा है
आज मैने पर्वतों को इतराते देखा है
मैने आज पेड़ो को इठलाते देखा है
आज मैने सागर को लहराते है
मैने आज लहरो को ठहरते देखा है
आज मैने नदियों को बतलाते देखा है
मैने आज सदियों को जगमगाते देखा है
आज मैने पक्षिओ को हा-हा हँसते देखा है
यही है कवि कल्याण का कमाल
*****मुबारक हो नया साल*****
आज मैने किसी शेर ओर बकरी को
**एक घाट पे पानी पीते देखा है**
मैने आज दुश्मनी को सिसकते देखा है
आज मैने दोस्ती महकते देखा है
आज मैने खुशियों को बटते देखा है ।।
कवि -कल्याणराज
kavikalyanraj@yahoo.in
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