***मुबारक़ नया साल*** Poem by KALYAN SINGH CHOUHAN

***मुबारक़ नया साल***

Rating: 5.0

***मुबारक़ नया साल***
आज मैने आसमा को चमकते देखा है ।
मैने आज तारों को लिपटते देखा है
आज मैने सूरज को मुस्कराते देखा है
मैने आज चाँद को उतरते देखा है
आज मैने बादलो को ठुमकते देखा है
मैने आज धरा को खिल-खिलाते देखा है
आज मैने पर्वतों को इतराते देखा है
मैने आज पेड़ो को इठलाते देखा है
आज मैने सागर को लहराते है
मैने आज लहरो को ठहरते देखा है
आज मैने नदियों को बतलाते देखा है
मैने आज सदियों को जगमगाते देखा है
आज मैने पक्षिओ को हा-हा हँसते देखा है
यही है कवि कल्याण का कमाल
*****मुबारक हो नया साल*****
आज मैने किसी शेर ओर बकरी को
**एक घाट पे पानी पीते देखा है**
मैने आज दुश्मनी को सिसकते देखा है
आज मैने दोस्ती महकते देखा है
आज मैने खुशियों को बटते देखा है ।।

कवि -कल्याणराज
kavikalyanraj@yahoo.in
99280-43855

Wednesday, December 30, 2015
Topic(s) of this poem: new year
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
***मुबारक़ नया साल***
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 31 December 2015

आज मैने खुशियों को बटते देखा है...I have too seen the rays of happiness in this marvelous new year poem. Also I am wishing you and your family a very happy new year.10

0 1 Reply
M Asim Nehal 30 December 2015

Naye saal ki shubhkamnayen aapko air apke parivar me sabhi sadasyon ko...

0 1 Reply
Ratnakar Mandlik 30 December 2015

Aapko Naya Sal Bahut Bahut Mubarak. Aapki Najm padhkar bahut khushi huie. Dhanyavad.10 .

0 1 Reply
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