Aaj Ki Raat Hai Zindagi Poem by Abhaya Sharma

Aaj Ki Raat Hai Zindagi

आज की रात है ज़िन्दगी, ज़िन्दगी
बंदो की बंदो से हो बंदगी
कुछ पाकर ही कुछ खोना है
कुछ खोकर फिर से पाना है
कहीं जाकर ही यहां आना है
यहीं आकर फिर वहां जाना है
खुद से कभी मिल पाने का
एक मन में मेरे सपना है
नही पराया कोई यहां
सारा ही जग अब अपना है
चलो चलें हम आज वहां
उस जोगी की ही कुटिया में
कहें कहानी किस्से चर्चे
मन की अपनी दुनिया के
है दिल की लगी ये नही दिल्लगी
आज की रात है ज़िन्दगी, ज़िन्दगी

अभय शर्मा 16 अक्टूबर 2015
(भाई अमिताभ बच्चन के 18 अक्टूबर से प्रारंभ होने वाले कार्यक्रम से बडी आशायें हैं)

Thursday, January 7, 2016
Topic(s) of this poem: nature,poems
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