आवाज सुनो
शुक्रवार, २६ अक्टूबर २०१८
मेरी आवाज सुनो
भले देशवासियों
बुला रही है धरतीमाता
सूना रही है गौरवकथा।
सरहद पर आतंकयों का साया
युद्ध जैसा माहौल गर्माया
देश के प्रहरी चौकसी से भरते पहरा
पर ख़त्म ना होता सातंकी चेहरा।
पडोसी ने ठानी है तकलीफ पहुंचाना
आतंकियों को भेजकर नुक्सान पहुंचाना
खूद को बम से उड़ाकर क्षति पहुंचाना
बर्बादी का पैगाम इस तरह पेश करना।
हमारा युवाधन बर्बाद हो रहा
पर उन्होंने सरहद को सुलगाए रखा
बर्बादी का आलम तो उन्होंने भी चखा
पर सब के सामने अपने आपको ऊंचा बनाए रखा।
अपने ही घर आग लगाने वाले कम नहीं
देश में गद्दारों की कमी यहां भी नहीं
हर साख पर उल्लू बैठा है घात लगाकर
कब मौक़ा मिल जाए सब को उल्लू बनाकर।
हसमुख मेहता
अपने ही घर आग लगाने वाले कम नहीं देश में गद्दारों की कमी यहां भी नहीं हर साख पर उल्लू बैठा है घात लगाकर कब मौक़ा मिल जाए सब को उल्लू बनाकर। हसमुख मेहता
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The sound of mother earth regarding harmful activities by terrorist has been so touchingly and incisively delineated. The last stanza is much impressive. Thanks for sharing,10