Alok da ke prati - आलोक दा के प्रति Poem by Abhaya Sharma

Alok da ke prati - आलोक दा के प्रति

कहां चले गये हो तुम
जहां में हमको छोड़ के
 
कहां कभी मिलोगे तुम
किसी गली के मोड़ पे
 
कहो किसे कहूं कि तुम
चले ये नाते तोड़ के
 
सोचता हूं क्या थे तुम
जब तार सारे जोड़ के
 
भाई से बढ़कर थे तुम
संसार की इस होड़ में
 
जब भी याद आते हो तुम
बस रोता हूं दिल मरोड़ के ।

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जानता हूं
अच्छा नही,
यूं इस तरह से
याद करना
यूं बेपनाह
प्यार करना
या फिर से
एक फरियाद करना
 
जानता हूं
लौट कर ना आ सकोगे
फिर गीत ना संग गा सकोगे
ना फिर कटेंगें रात-दिन
जैसे कटे थे एक पल छिन
भूल जाना ही भला है
पर भूल पाता हूं कहां मैं

अभय शर्मा,11 जनवरी 2010 

आलोक दा - जन्म 11 जनवरी 1955 (मेरठ, उत्तर प्रदेश) मृत्यु 18 मार्च 1994 (अंकलेश्वर, गुजरात)

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