Bachchan Kavita - बच्चन कविता Poem by Abhaya Sharma

Bachchan Kavita - बच्चन कविता

अभी-अभी डाक्टर हरिवंश राय बच्चन मुझसे क्या कह रहे थे - आप भी सुनो -

कल जब मेरी कविता में
तुम मुझको पा जाओगे
नही मिले नश्वर शरीर से
अंतर्मन से मिल पाओगे ।
उठो पुत्र तुम धीर धरो
धरती के रण का वीर बनो
मैं चला गया जग से तो क्या
नही कविता में अपनी जीता क्या?
सुनो ध्यान से एक बात
यह जग तो बस एक मेला है
अपनी बाजी मैं खेल चुका
अब नया यहां का खेला है ।

अभय शर्मा
19 जनवरी 2010 09.35 प्रातः

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Abhaya Sharma

Abhaya Sharma

Bijnor, UP, India
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