Bharat Ke Hum Bharatvasi - भारत के हम भारतवासी Poem by Abhaya Sharma

Bharat Ke Hum Bharatvasi - भारत के हम भारतवासी



आजाद है भारत कहने को
आजादी है यह बेमानी
भूखे की भूख नही मिटती
नही मिलता पीने को पानी
 
हिन्दु मुस्लिम या जांत-पांत
बंट गया कौम टुकडे़ टुकडे़
मिल-जुल कर रहना दूर हुआ
है कैसी गजब की शैतानी
 
हम आज कहें चाहे कुछ भी
करने की कभी क्या है ठानी
यह देश हमारा पिछड़ रहा
फिर भी करते हम मनमानी

आऒ मिलकर कुछ देर सही
उस राह पे चल देखे तो सही
अपने ही खून पसीने से
अपना ये चमन सींचें तो सही

कुछ कर्म करें ऎसे जग में
हम ज्ञान जरा बांटें तो सही
अपने भारत की खातिर हम
एक जान लडा़ देखें तो कभी

हम कॊई मसीहा ना चाहें
मेहनत से अपनी रंग लायॆं
बस दिल में एक तूफ़ान उठे
भारत के हम भारतवासी

Tuesday, December 11, 2012
Topic(s) of this poem: patriotic
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Abhaya Sharma

Abhaya Sharma

Bijnor, UP, India
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