बहाने
शुक्रवार, २६ अक्टूबर २०१८
तुम तो कहती रहती हो
बहाने बनाते रहती हो
फिर भी दील ये नहीं समझता
तुम्हारे पीछे चलता ही रहता।
अजब सी है ये दुविधा
दिल भी हो गया है अंधा
किसी और बात को मानता ही नहीं
बस उसी के सिवा और कोई भाता नहीं।
प्रेम की का है ये अजीबोगरीब कहानी
पर नहीं करता किसी की हानि
दो दिल प्य्रार में डुबे रहते है
अपनी बात को खूब समझते है।
प्यार को सदा हमने माना
ये सदा रहा प्रभु का उपहार जानामाना
जमाने ने भले किया उपहास
पर प्यार का सदा रहा ऐसा इतिहास।
मुझे मिल गया मनभावन पात्र
में भी कहाँ काम था सुपात्र
बस उसकी हाँ करने की ही देर थी
मेरे मन में भी उसीकी ही तस्वीर थी।
हसमुख मेहता
मुझे मिल गया मनभावन पात्र में भी कहाँ काम था सुपात्र बस उसकी हाँ करने की ही देर थी मेरे मन में भी उसीकी ही तस्वीर थी। हसमुख मेहता
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प्रेम की का है ये अजीबोगरीब कहानी पर नहीं करता किसी की हानि दो दिल प्य्रार में डुबे रहते है अपनी बात को खूब समझते है।.....touching and impressive expression with nice theme. A beautiful poem so nicely executed. Thanks for sharing.