अपने एक दोस्त की हालत पर - (मिज़ाहिया)
मेरी शब्बो का चौराहे पे घर है
वही पर मेरा दिल है मेरा सर है।
वहां जाड़े में मिल जाते हैं अंडे,
वही गर्मी में लस्सी के हैं जलवे।
तमन्ना है मेरी शब्बो का दीदार,
बहाना सिर्फ है ये सैर ए बाजार।
हमारे प्रेम से भाई खफा है,
वो मुझको जल के ओडू कह रहा है।
इरादे मेरे तीखे लग रहे थे,
मोहब्बत करने वाले धौंस में थे।
यहाँ तक मैंने बस लिखा था किस्सा,
मेरे पापा ने मुझको खूब मारा।
मेरे भाई की कारस्तानियां हैं,
मेरे चेहरे पे चोटों के निशाँ हैं।
- सुहैल काकोरवी
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waah! shabbo ke chaurahe par sardi me ande aur garmi me lassi ke jalwon ne hamare dil me lakhnau aane ki hasrat bhar di hai. aapki shayar ka mazaahiya rang bhi khoob hai, suhail kakorvi sahab. मेरे भाई की कारस्तानियां हैं, मेरे चेहरे पे चोटों के निशाँ हैं।