"झुठा कहींका, बेईमान कहींका "
रविवार, २२ नवंबर २०२०
"झुठा कहींका, बेईमान कहींका "
ये कहकर ना करो अपमान किसीका
सबको घमंड है अपने आपका
प्रेम का, मन के स्वाभिमान का।
जीवन को खेल नहीं
सब के साथ मेल संभव नहीं
पर सब के साथ मेलजोल जरूर है
रिश्ते का तोलमोल बेकरार है।
नहीं रखना हमें कोई वेरभावना
बस एक ही रखनी है खेवना
ना हो जाय किसीका बुरा
बस भला ही हो सबका पुरा।
हम क्या है इस धरतीपर?
हमें समझाए ओ मुरलीधर
विश्वास की ये धरतीपर हमें क्यों रहना नहीं आता?
क्यों हमें सादी चीज को परखना नहीं आता!
मसला समजफेर का हैं
इरादा उलटफेर का है
पर एक बात समज लो
नहीं होना है यह सब, सिख ले लो।
घिर जाओगे औंधे मुंह
नहीं निकलेगी धीरे से भी आह
दिल से कराहोगे पर कोई नहीं सुनेगा
अपने आपपर ही भरोसा करना पडेगा।
सब कुछ मिल जाएगा बाजार
दाम दे दो और ले जाओ औजार
बनी रहेगी आपके बारे में चकचार
आप संगीन होते हुए भी दिखोगे लाचार।
डॉ. जाडिआ हसमुख
नहीं रखना हमें कोई वेरभावना बस एक ही रखनी है खेवना ना हो जाय किसीका बुरा बस भला ही हो सबका पुरा।.....सही बात है जी । हमे वेरभावना नहीं रखना है, किसिका बुरा नहीं सोचना है । बहुत सुंदर गीत आपने लिखा है जी । सुकरिया । फाइब स्टार्स ।.
Poem: 59661059 - " झुठा कहींका, बेईमान कहींका " Member: M Asim Nehal Comment: Bahut khoob, aapne jhanjor kar rakh diya jeevan ke is katu anubhav se.10***
Bahut khoob, aapne jhanjor kar rakh diya jeevan ke is katu anubhav se.10***
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बनी रहेगी आपके बारे में चकचार आप संगीन होते हुए भी दिखोगे लाचार। डॉ. जाडिआ हसमुख