Koi Maina Nahi Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

Koi Maina Nahi

Rating: 5.0

कोई मायना नहीं रखता है

पता नहीं कितनी रातें गुजर गयी
उनकी यादों मे और फजर हो गयी
दिन रात और साल भी बदल गए
पर हम उसी शक्ल में राह ढूंढ़ते रह गए

'हम नहीं भूलेंगे ' ये सुनहरे पल
आपने हलके से बोले थे बोल
आज भी वो गूंज रहे है
मुझे मेरी गमगीनी का राज बता रहे है

क्यों न रख सके आप अपना वादा?
क्यों जख्म दे दिए मुझे ताज़ा?
मैंने तो साथ रेहने का दिया था वचन
आपने क्यों नहीं किया मेंरा चयन?

आपने अंत तक अपने पत्ते नही खोले
हमने अपना सब कुछ दे डाला बोले बोले
ना समज पाया में आपके दिल की हलचल
कहके तो देखते 'अब बस हो गया, अब चलता बन'?

में देवदास तो न बन सका
पर शायर भी अच्छा ना बन सका
बस दिल की बात दिल में ही रख दी
दिल की दस्तक दिल तक ही रख दी

भूलना चाहता हूँ पर भूल नहीं सकता
रातो का गमगीन साया रोक नहीं सकता
ये सब मेरे गहरे दोस्त बन चुके है
बिन बुलाये मेहमान बन चुके है

रात की चुपकिदी और सन्नाटा मुझे है भाता
नहीं याद आता कोई मुझे सिर्फ माता और भ्राता
सभी तो मेरे दिल के बहुत ही करीब थे
पर आप की दोस्ती का रंग भी अजीब ही था

मेरे संग उनका ताना बाना बुन गया है
बस जीवन एक खुल्ली किताब का पन्ना हो गया है
हर कोई झांक के पाना उलटा सकता है
मर्जी करे तो देर तक रुक भी सकता है

हम जब गैरो से महोब्बत कर सकते है
तो आप तो हमारे करीबी और मेहमान हो चुके है
अब ये दिल कुछ भी सह सकता है
आपका आना और जाना अब कोई मायना ही नहीं रखता है

COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 19 March 2013

Taran Singh likes this. Taran Singh A real..................... 8 hours ago · Unlike · 1 Taran Singh Lovers live deathlessly, Without a question accept this truth. 8 hours ago · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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