शाख़ पर बैठा एक परिंदा हूँ मैं
लम्बे सफर से लौटा एक बंदा हूँ मैं
क्या शिकार करोगे अब तुम मेरा
हवा के झोके से ही गिर जाऊँगा
अँधियों ने कई चराग़ बुझाये है
फिर भी दीये कहाँ बाज़ आये हैं
अपनी ज़िद में मैं खुद जल जाऊँगा
ज़िन्दगी से गया तो ख्यालों में आऊँगा
Bahut behtareen shayari chidiyo ke saath. Aur aandhi aur chirag ka madhur nok jhok.
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ज़िन्दगी से गया तो ख्यालों में आऊँगा Beautiful.