वो जो Poem by lucy Bisht

वो जो

आदमी जो मेरा बाप बनता हैं,
वो क्यों मेरी माँ को गलीयाता हैं।
वो जो प्यार जताने वाले बनते हैं,
वे क्यों अकेले में हैवान बन जाते हैं।

वे जो इंसान बनते हैं
वे क्यों इंसानीयत भूल जाते हैं।
वे जो धर्म समझाते हैं
क्यों वे खुद समझ नहीं पाते हैं।

वे जो सच्चे होते हुए भी, दुष्ट हैं
वे जो लिखते हुए भी, गुंगे हैं
वे जो पहने हुए भी, वस्त्रहीन है
वे सब जो देखने, सुने के बाद भी, चुप है

वे सब
एक दूसरे के 'क्यों' का जवाब हैं ।
एक शांत चीख की पुकार है ।
वे मेरे क्यों से शुरू होने वाले सवाल हैं

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