lucy Bisht Poems

Hit Title Date Added
1.
अलग

खाना, सोना, बैठना है।
ये लोगों का कहना है
घर की शान्ति बनाओगी
अगर तुम बस 4 दिन
...

2.
*राज़*

डिप्रेशन और एंग्जायटी
को हमारी जनरेशन के
चोंचले समझते हैं।
...

3.
जन्मे वें

जन्मे थें वे, पौष की 12 को।
जन्मे थें वे, कुछ हटके करने को।
न्याय निष्पक्ष मिले कामना थी उनकी
दर्जा औरत का, नीची जातों को
...

4.
हालात!

सहन कर कर वो,
माँ अब थक चुकी
सीना चीर वो रो उठी।
आस लगाए, वे
...

5.
फर्द

गुमशुदगी मे बंदगी उसने करी।
नाराज़गी उसकी बेदर्द थी
बेहूदगी में उसकी सादगी थी।
...

6.
अंतिम

है अंतिम राग गाना कब
अंतिम मोल चुकाना अब?

क्या अंतिम असल अंत होगा
...

7.
लेख

वस्त्रधारी को वस्त्रहीन करता
बेहया भाव, वो,
नग्न होने तक लिखता है
...

8.
भाषा

अपनी भाषा का दर्जा ऊँचा चाहते हैं
लालसा में अपनी, मारते मरते हैं
विविधत लोगों का मन विभाजित करते हैं
अपनी संतुष्टि हेतु क्या-क्या नहीं कर देते हैं।
...

9.
वो जो

आदमी जो मेरा बाप बनता हैं,
वो क्यों मेरी माँ को गलीयाता हैं।
वो जो प्यार जताने वाले बनते हैं,
वे क्यों अकेले में हैवान बन जाते हैं।
...

10.
र्चचा

वो थे वहाँ पे, जहाँ थे हम
थे वे बिखरे पड़े, बने के लिए दुनिया की नयी बात।
थी शायद हमसे उन्हें एक आश
करे हम उनकी मदद हाल फिल हाल
...

Close
Error Success