तो क्या हुआ
नहीं चुना है, पांडवों और कौरवों में
चुनना है, कौरवों की भीड़ में
नहीं चुना है राम और रावण में
चुनना है रावण के दस सिरो में।
नहीं बसना है अयोध्या और द्वारिका में
रह जाना है कनक कालकोठरी में
नहीं बसना है जन्नत और भू लोक में
बसाना है दोजक धरती लोक में।
तो क्या हुआ
नहीं हो रहा, शांति पाठ परमात्मा की
उठ रही खड्ग उनके नाम की
नहीं दिख रहा इंसान, काम, मेहनत पहले
देख रहे, जाती, पैदाईश। ससुरे!
तो क्या हुआ
अनजान निष्पाप आप बन रहे
दुनिया नहीं आप, स्वयं को स्वयं से ठग रहे!
तो क्या हुआ
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