जन्मे थें वे, पौष की 12 को।
जन्मे थें वे, कुछ हटके करने को।
न्याय निष्पक्ष मिले कामना थी उनकी
दर्जा औरत का, नीची जातों को
ऊपर उठाना, सपना था उनका।
विद्रोही बयान देकर, चुनौती
अज्ञानियों को दिया करते ।
धार्मिक आडंबर को सख्त मना करते थे।
शिष्यत्व रामकृष्ण की बडी़ प्रिय थी।
बडा़ ग़हरा अनुभव जीवन था।
जीता दिल लोगों का भाषण शक्ति से।
बनाई दिल में हमारे जगह, अपनी करनी से
एसे महान ज्ञानी पूज्य को नमन हमारा
सदा चमके ये सितारा हमारा।
जन्मे थें वे, जन्मे हैं वे
और आगे भी जन्मेंगे वे
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