मानवता कादर्शन
Monday, April 30,2018
11: 27 AM
मेहबूब अगर तुम न होते
हम कभी ना हँसते रेहते
जीवन यूँ ही बीत जाता
बार बार रुलाता रहता।
में तुम में एक ही छवि देखती
और बारबार मुस्कुराती
अपने आप एक ही चीज का ख़याल रखती
एक ही चीज़ का रट्टा लगाती।
हुश्न और आग एक बराबर
दोनों को रखते खबरदार
कहीं इधर की उधर ना हो जाए
अपनी बर्बादी का कारण ना बन जाए।
तुम हंस के फूल बरसाते हो
मुझे मंत्रमुघ्ध बना जाते हो
में खोईखोई अपना संसार बसा लेती हूँ
आपकी छबी को दिल में उतार लेती हूँ।
एक ही तड़प है दिल में
हलचल है पुरे शरीर में
पूरा दिन मानों कसर का अनुभव होता है
मन मानों अवढव में डूबा रहता है।
आप में मुझे कुछ और दिखाई देता है
मुझे दिव्य सपने कीयाद दिलाता है
क्या कोई फरिश्ता आकर मुझे अपना बना सकता है?
मुझे इसी में मानवता का दर्शन होता है
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आप में मुझे कुछ और दिखाई देता है मुझे दिव्य सपने कीयाद दिलाता है क्या कोई फरिश्ता आकर मुझे अपना बना सकता है? मुझे इसी में मानवता का दर्शन होता है