मुझे पंख दे दो
मुझे पंख दे दो, उडनेके लिए
ऊपर आसमान से, देखने के लिए
वो चल रहे है, अपनी मस्ती में
और मशगूल है नूराकुश्ती में।
मेरे पंख काट दिए कुछ पाने के लिए
कहानी अब लिख दी है ज़माने के लिए
में तड़प रही हूँ सुख पानेके लिए
वो दे रहे है ताने, कसने के लिए।
'ना मारो मत मुझे, जिन्दा जाने दो'
कुछ पल चेन के सुख से लेने दो
कुछ चन्द पैसो से, जिंदगी नहीं कटेगी
मेरी बददुआए जीने भी नहीं देगी।
आपने चाहा था में खाली हाथ आउ
अब में कहाँ से सारा धन जुटाऊ
पिता माता सबने, मुझपर है लुटाया
अब नहीं पास उनके कुछ भी बकाया।
हाथ मेरे बांध लिए, मिटटी तेल से जलाया
मेरे दुखी दिलको, भरपेट खूब सताया
मे तो अब जा चुकी, संसार बसा लेना
दुआ हमारी साथ है, दुखी मत होना।
और कितनी मरेगी दुल्हने मेरे जानेके बाद
नहीं याद आएगी मौत में सोने के बाद
वो और चाहेंगे, धन दोलत आशयाना
हर ओरत का ये होगा, मौत का परवाना।
नहीं सुधरेंगे ये हालात जिंदगी के
चारा नही अब बीना बंदगी के
इसलिए माँगा मैंने, पंख मुझे दे दो
हवा का रुख मेरी ओर करके देखो।
welcome girijesh tiwari a few seconds ago · Unlike · 1
Vasveliya Mohit helloo hasmukh bhai add me 11 hours ago · Unlike · 1
Bunty Singh likes this. Hasmukh Mehta welcome a few seconds ago · Unlike · 1
Kuldeep Singh Wah kya piroya hai 2 hours ago · Unlike · 1
Nudrat Nawaz lajawaab huzur. 7 hours ago · Unlike · 1
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
Shubhda Bajpai bahut sundar 7 minutes ago · Unlike · 1