कहानी
कहानी लिखते लिखते उन्होने
....... कविता एक लिख डाली:
ताजे फूलोँ की महक
............तितलियोँ का उतावला रंग
आसमान का अपनापन
............समुन्दर का आकर्षण
और दूर कोयलिया की कुहु कुहु कुहु सुमधुर तान -
इस मेँ क्या कभी कोई कहानी लिख सकता है? ?
कविता लिखते लिखते उन्होने
........ कहानी एक लिख डाली:
छोटी लडकी की शादी
............ बडे लडके की बेरोज़गारी
च्न्दावालोँ की ज़ुल्म
............ मक़ान-मालिक की ताकीद
और दिनरात वही पुरानी औरत की खिटमिट खिट्मिट बातेँ -
इस मेँ क्या कभी कोई कविता लिख सकता है? ?
कविता – कहानी की चक्कर मेँ वह
........ अपने आप को ही भूल गये:
मन्दिर – मसज़िद का झगडा
............ पार्लियामेँट का हल्ला शोर
निठारी का नर-कंकाल
............ कालाहाण्डी की चीख-पुकार
और बाजार मेँ तेज बढती तेल दाल चावल की दरेँ
सब - सब कुछ भूल गये: -
कहानी लिखते लिखते वह खुद एक
कहानी सी बन गए ।
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