Pushpa P Parjiea Poems

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11.
Virah

oo asma ke sitaron kar lo kuchh rukh is or bhi


meri kuchh suno or sunao tum kuchh aapni bhi
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12.
मेरी निंदियारानीx

मेरी निंदियारानी


बहुत ही खूब सूरत है तू मेरी निंदिया रानी
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13.
एक तुम ही तो हो कृष्ण

चलपड़ेथे कई विचारों के मंथन संग,
बहगए थे अनजानएक बहाव सेहम
न आसमा दिख रहा न ज़मीं दिख रही थी
न ही एहसास कोई न ही मन में कमी थी
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14.
Nishtabdh Nisha

निशब्द, निशांत, नीरव, अंधकार की निशा में
कुछ शब्द बनकर मन में आ जाए,
जब हृदय की इस सृष्टि पर
एक विहंगम दृष्टि कर जा
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15.
जीवन की राहें...

क्यूं होती पथरीली जीवन की राहें,
क्यूं न मिलते कोमल फूल यहां।
क्यूं होती खुशी के लम्हों के बाद,
जलते से जीवन की राहें यहां।
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16.
कुछ सपने सजा लें‏

चलो न मितरा कुछ सपने सजा लें,
हम तुम एक नया जहां बना लें।
आ जाओ न मितवा कभी डगर हमारी,
तुमसे बतियाकर अपना मन बहला लें।
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जब पाप बढ़े अत्याचार बढ़े तब धरती करवट लेती है
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....जिनके साथ बचपन खेला,
जिनसे सुनी लोरियां मैंने
, जिसका साया छावं थी मेरी,
जिनके लिए थी एक नन्ही परी मै,
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19.
एक पंछी जो उड़ गया‏

एक पंछी उड़ गया
छोड़ा घर उसने धरती का आसमा पर घर बसा लिया
जब वो पंछी बोला कराहकर.. जाना होगा अब मुझे इस धरती के जहाँ से..
आज एक आश टूट गई.
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20.
'फूलों से '‏

कहीं तू सजता शादी के मंडप में
कहीं तू रचता दुलहन की मेहंदी में
कहीं सजता तू द्दुल्हे के सेहरे में
कहीं बन जाता तू शुभकामनाओं का प्रतिक
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