Amrit Pal Singh Gogia Poems

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21.
A-319 तेरे पहलू में

A-319 तेरे पहलू में 28.9.17- 10.34 PM

तेरे पहलू में आकर दम तोड़ दिया
वो रिश्ता वो नाता सब छोड़ दिया
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22.
A-124. बहुत अच्छे

बहुत अच्छे 21.3.16- 7.36 AM
बहुत अच्छे दिन जो हमने गुजारे हैं
न कभी हम जीते थे न कभी हारे हैं
तुमने जो खेल दिया जिंदगी में
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23.
A-077. क्या रखा है

क्या रखा है -13.9.15—10.32 AM

क्या रखा है
मंदिर और गुरुद्वारों में
...

24.
A-080. कि तुम कहाँ हो

कि तुम कहाँ हो। ……

मेरे इतने करीब आओ कि मुझमें समा जाओ
मैं तुमको ढूंढ़ता रहूँ तुम यह भी बता न पाओ
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25.
A-072. क्यूँ?

क्यूँ? 10.4.16—5.00 AM

क्यूँ हाँथ छुड़ाते हो
दूर भी तो नहीं जाते हो
...

26.
A-070. कुछ भी

कुछ भी 21.4.16—6.45 AM

यह कैसी ज़िंदगी है
यह किसकी बंदगी है
...

डर लगता है तेरे पास आने में 24.4.15- 4.15 AM

डर लगता है तेरे पास आने में
आने हँसने और मुस्कुराने में
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28.

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मैं अब बड़ी हो गयी हूँ-13.8.15—10.33 PM
...

29.

क्या फर्क पड़ता है 19.12.15—6.42 AM

क्या फर्क पड़ता है……….
कि तुम कितने महान हो
...

30.
A-084. कितने डरे हुए हो

कितने डरे हुए हो 23.2.16—7.51 AM

कितने डरे हुए हो कितने सधे हुए हो
मौत का जो डर है कितने मरे हुए हो
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