मनाना हमें नहीं आता, मानना उन्हें नहीं आता
ये सिलसिला-ए-गुफ्तगू, जारी है
कभी आँखों से छलकती है कभी होठों को दांतों से दबाते है
ये सिलसिला-ए-नाराज़गी, जारी है
छुपा भी नहीं सकते दिल की बात - बता भी नहीं सकते
ये सिलसिला-ए -कश्मकश, जारी है
उठते हैं कभी, कभी बैठ जाते हैं
ये सिलसिला-ए-बेचैनी, जारी है
देखते हैं कभी, कभी छुप जाते हैं
ये सिलसिला-ए-इश्क़ आँखों से, जारी है
गिनते हैं तारे कभी, कभी नींद से जी चुराते हैं
ये सिलसिला-ए-शब, जारी है
वो बांधते हैं फिर खोल देते हैं
ये सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़ की कशिश, जारी है
रिश्तों के ताने बाने कहीं, कहीं दोस्ती की मिसाल
ये सिलसिला-ए-दराज़, जारी है
बचपन से जवानी तक और जवानी से बुढ़ापे तक
ये सिलसिला-ए-क़ैद-ए-हयात, जारी है
कहीं जिस्म की ख्वाहिश, कहीं रूह की तमन्ना
ये सिलसिला-ए- मस्लहत, जारी है
आपकी इस बेहतरीन नज़्म में मुहब्बत और ज़िन्दगी के कई पहलु नुमायाँ होते हैं. शुक्रिया, मो. आसिम जी. छुपा भी नहीं सकते दिल की बात - बता भी नहीं सकते ये सिलसिला-ए -कश्मकश, जारी है
बचपन से जवानी तक और जवानी से बुढ़ापे तक ये सिलसिला-ए-क़ैद-ए-हयात, जारी है Bahut khoobsoorat, pooei nazm raanaion ki tasveer hay.
Waah subhanAllaah! Ye silsile jaare rehne dein, ye in mohobaton ke safar ka saathi hain aur yehi zindagi ka mahsal bhi...Inhi kashmakashon se ubhar kar zindagi ko aage le jaana hai...khoobsurat kalaam... aur dilkash andaaz.e bayaan...dheron daad.o tehseen.100 plusssss
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सिलसिला यूँही चलता रहे तेरी मेरी मोहब्बत की दास्तान यूँही चलती रहे बंद ज़बां से वो इक़रार कर गए नमः आँखों से हम इंकार कर गए चाहते बहुत थे पर ज़माने के आगे बेबस बन गए एक बहुत - बहुत बेहतरीन नज़्म 100++