कुछ मासूम सवाल जो हैरान करते हैं
जाने किस बात पे परेशां करते हैं
वो आते हैं बन कर आंधी
तूफ़ान बन कर बवाल करते हैं
वो लगते हैं एक दम सरल से
लेकिन चलते हैं भवर से
कर जाते हैं वो सबको गोल
फिर न सूझता कुछ और
छु जाते हैं पर दिखते नहीं
बोलते हैं वो कुछ हम समझते नहीं
वो रखे रहते हैं हमको हैरान
समझ में नहीं आता कैसे करे बयां
ये सवाल हैं कितने मासूम से
भोले बन कर पूछते हैं हाल
कहाँ है छुपा इनका जवाब
मासूम सवाल और मुश्किल जवाब
Masoom sawaal aur mushkil jawaab, waah, I liked the poem.
So true sir...All of us have been stuck in some problems........we all are running after the solution
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I would like to translate this poem
मासूम सवाल और मुश्किल जवाब, waah a lovely poem