मुझे गुमान था अपने अमीरी पर
ख़रीदे है बहुत जमीर अपने अमीरी पर
बस अब मैं मुफ़्त में बिकना चाहता हूँ
किसी मुफ़लिस का सहारा ना बन सका अपने अमीरी पर
बस अब हर जरूरतमंद में नसों में बहना चाहता हूँ
ये जिंदगी तुझे मैं और जीना चाहता हूँ
इस रूह को हर बार प्यार होगा
अपने प्रियतम जिस्म से
मालूम है
जिंदगी के किसी स्टेशन पर
ठहरेगा जिस्म निकलेगी रूह
मालूम है
जिस्म के ट्रेन का मैं वो हिस्सा हूँ
जो दूसरी अधूरी ट्रेन से जुड़ना चाहता हूँ
बस
एक माँ को आँखें
एक बच्चे को दिल
एक अपाहिज का सहारा बनना चाहता हूँ
ये जिंदगी तुझे और जीना चाहता हूँ
बस एकइल्तजा है मेरी तुमसे
मेरे दोस्त
अब मैं
मुफ़्त में बिकना चाहता हूँ
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