VirendraVikram Singh Poems

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1.
जिंदगी

गिरती बिखरती जिंदगी
लड़कर संभलती जिंदगी
ये जिंदगी हर मोड़ पर सजती संवरती जिंदगी,
शर्मोहया को छोड़कर
...

2.
दर्देजिगर

अपना दर्देजिगर, गिलीनजर, रुठाशहर
दिखाना किसको
जब अपना अपना न हो तो
बतलाना किसको
...

3.
बेताज बादशाह

वो हम से खफा हैं
हम उनसे खफा हैं
है कुछ राज जो दिल में दबा है
है कुछ अल्फाज़ जो उसको मालूम नही
...

4.
अंगदान

मुझे गुमान था अपने अमीरी पर
ख़रीदे है बहुत जमीर अपने अमीरी पर
बस अब मैं मुफ़्त में बिकना चाहता हूँ
किसी मुफ़लिस का सहारा ना बन सका अपने अमीरी पर
...

5.
जिद्दी बच्चा

जिद्दी बच्चा

मैं तो ख्वाबी हूँ, सपनो में खुद को बाँध रखा है
मेरी सच्चाई मेरे सपनो से झलकती है,
...

6.
हिंदीराष्ट्र्भाषा

हिन्दी सिर्फ एक भाषा नही हमारीमातृत्व की पहचान है
देवताओं का दिया हुआ हमे एक वरदान है
भाषाएँ तो बहुत है यंहा अपनेदिलो के जज्बात कहने को
पर यहकोईअल्फाज नही, अहसासो की एक दुकान है
...

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