जिद्दी बच्चा Poem by VirendraVikram Singh

जिद्दी बच्चा

जिद्दी बच्चा

मैं तो ख्वाबी हूँ, सपनो में खुद को बाँध रखा है
मेरी सच्चाई मेरे सपनो से झलकती है,
मैंने अपने जँहा का नाम ख्वाब रखा है

ये सपने बचपन के नही कलाम के हैं(dr apj abdul kalam)
खुली आँखों से मैंने इनका शमा बाँध रखा है
जुनून के आगे मेरेझुकेगा हर कोई एक दिन
जूनून ने जिद को अपना हमनवां जोमान रखा है

लोग कहते है कि ये कुछ करता नही
आ रहा हूँ लेने जो किस्मत ने दिया नही
छीन कर ले जाऊंगा अपने हर सपने को
हकीकत की दुनिया मे
किस्मत ने भी मेरा नामजिद्दी रखा है

Saturday, December 9, 2017
Topic(s) of this poem: dreams,passion
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