हिंदीराष्ट्र्भाषा Poem by VirendraVikram Singh

हिंदीराष्ट्र्भाषा

हिन्दी सिर्फ एक भाषा नही हमारीमातृत्व की पहचान है
देवताओं का दिया हुआ हमे एक वरदान है
भाषाएँ तो बहुत है यंहा अपनेदिलो के जज्बात कहने को
पर यहकोईअल्फाज नही, अहसासो की एक दुकान है
हमारी संस्कृतिकी गरिमा हमे बुलंदियों पर लाकर खड़ा करती है औरो से क्योंकि....
हम हिन्द सेऔर हिन्द का हिंदी से होंना हमारी शान है
इस युगवाणी हिंदी को हमारा शत् शत् प्रणाम है....

Friday, December 15, 2017
Topic(s) of this poem: language,nation
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