अर्थहीन जीवन,
व्याकुल मन, कष्ट के गीत, कहकहे सुनाते हैं,
कहते है हमसे,
चलो आज,
मुस्कुराते है……
मृत्यु के भय से अगर हम जिए नहीं,
अहंकार को भी यूँ ही मुस्कुराह्टे दिए नहीं,
फिर जिन्दगी बेमतलब क्यूँ जिए जाते है,
चलो आज,
मुस्कुराते है……....
कम क्रोध मोह छोड़, सत्य के प्रतीक बने,
जिव्हा से अपनी बस गरीब को जलाते है,
हम असत्य साथ लिए प्रेमगीत गाते है,
जो भी हो, जैसा भी हो, अपना उसे बनाते है,
कांटे भी चुभे शायद,
उपदेश भी मिलेंगे,
हमको नकारते हए सन्देश भी मिलेगे …
फिर भी इसी मार्ग पे लड़ते हुए आते है,
चलो आज,
मुस्कुराते है……..........
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