मै असत्य का पालनकर्ता 1 Poem by Ashq Sharma

मै असत्य का पालनकर्ता 1



बनकर आविनाशी बैठा हूँ, मै छणिक मृत्यु से कब डरता,
विस्मय का बोध भुजाओं में ले कर मै कब कब मरता,
वो धर्मं की चर्चा करते है, मैं अर्थ की चिंता करता हूँ,
वो दूत शांति के हैं तो क्या, मै तो असत्य का पालनकर्ता..........
मै असत्य का पालनकर्ता! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! !

COMMENTS OF THE POEM
Ashish Sharma 20 August 2013

Thanks Geetha.......................................

0 0 Reply
Geetha Jayakumar 19 August 2013

Kavith bahuth achhi hai. Loved reading it.

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success