जाना मैं तेरा दीवाना Poem by Raj Rathod

जाना मैं तेरा दीवाना

तेरी नाराजगी का भी कोई राज़ तो है जाना
तेरीबेरुखीमेंभी थोड़ा प्यार तो है जाना

मैंने देखा है राहों में, तु पलट कर देखती तो है
जब भी कहीं से गुजरता हूँ, नजरें फेंकती तो है
सुना दे मेरे लिए तेरी आवाज क्या है?
जो मुझे भी नहीं पता वो राज़ क्या है?
गर ये सच है तो फिर एतराज क्यों है जाना
तेरी नाराजगी का भी कोई राज़ तो है जाना
तेरी बेरुखी में भी थोड़ा प्यार तो है जाना
जाना मैं तेरा दीवाना.....
ओ जाना मैं तेरा दीवाना.....

जब घुली तेरी मेरी आँखे, उनमे राज एक गहरा था
मेरी आँखों में रूप तेरा, तेरी आँखों में 'राज' का चेहरा था
सबकुछथाउस पल में महज इजहार नहीं था
तु ही बता वो प्यार नहीं था! क्या प्यार ही नहीं था?
समझ उलझने इनमे कुछ सार तो है जाना
तेरी बेरुखी में भी थोड़ा प्यार तो है जाना
तेरी नाराजगी का भी कोई राज़ तो है जाना
जाना मैं तेरा दीवाना...
ओ जाना मैं तेरा दीवाना....

Thursday, November 15, 2018
Topic(s) of this poem: hindi
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Raj Rathod

Raj Rathod

Khargone, India
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