फिर से टुटा है दिल Poem by Raj Rathod

फिर से टुटा है दिल

​​​फिर से टुटा है दिल, फिर से बिखरा है जिगर
फिर से रूठी हो तुम, फिर से उलझी है नजर

फिर से ख्वाबों में तुम मेरे आने लगी
फिर से यादें तेरी, मुझे तड़पाने लगी
फिर से धुँए ने सीने में कर दी है बगावत
फिर से साँसो में तुम घूंट-सा जाने लगी
फिर से बेअसर दिल पर होने लगा है असर
फिर से टुटा है दिल फिर से बिखरा है जिगर
फिर से रूठी हो तुम, फिर से उलझी है नजर

फिर से पलकों के नजी एक झाई-सी है
फिर से आँखों में नदी उतर आई-सी है
फिर से रातों का नींद से तआलुक नहीं
फिर से रूह पर तेरी परछाई-सी है
फिर से डायरी में मेरी तु बन के आई है बहर
फिर से टुटा है दिल फिर से बिखरा है जिगर
फिर से रूठी हो तुम, फिर से उलझी है नजर

फिर से मन का पक्षी उड़-सा गया
फिर से मैखानों से रिश्ता जुड़-सा गया
फिर सेलम्हे-लम्हे की साजिशहुई
फिर से मंजिल का रास्ता मुड़-सा गया
फिर से मोहब्बत को किसी की लगी है नजर
फिर से टुटा है दिल फिर से बिखरा है जिगर
फिर से रूठी हो तुम, फिर से उलझी है नजर

Thursday, November 15, 2018
Topic(s) of this poem: heart,heart song,heartbreak,hindi,love,love and dreams,love and life
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Raj Rathod

Raj Rathod

Khargone, India
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