घूरती ऑंखें थी उसकी,
और दुःख भरा चेहरा मेरा,
न मैंने कुछ कहा न उसने कुछ.
भीड़ को चीरती आवाज़ आयी वहां,
आँखों से सब देख लिया,
न मैंने कुछ सुना न उसने कुछ.
तन्हाई ने खिड़की से जब झाँका वहां,
सिर्फ सन्नाटा ही दिखाई दिया,
न मैंने कुछ महसूस किया न उसने कुछ.
ऑंखें मेरी कई सवाल करती रही,
उनकी आँखों ने जवाब दिया,
न बोला मैंने कुछ न उसने कुछ.
Par fir bhi issara ho gaye na maine kuch kaha na unhone kuch bola. Bahut sundar rachna.
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Wah bhai wah