जेहन में बसा है महज एक निशां, जो भी है वो फकत तेरी यादों का है
तुमसे होना तो थी मगर हुई ही नहीं, कुछ नशा अधूरी उन बातों का है
तुझसे पहले मैं शेर-ए-गजल भी न था
तुमसे मिलना बिछड़ना गीत बन गया
सभी से सराही हुई, खुद से हारी हुई
प्रेम के किस्सों की मैं रीत बन गया
दिल के हालत पर खुद के आघात पर
जो हुआ है वज्रपात तन्हा रातों का है
जेहन में बसा है महज एक निशां, जो भी है वो फकत तेरी यादों का है
तुमसे होना तो थी मगर हुई ही नहीं, कुछ नशा अधूरी उन बातों का है
तेरे स्वप्नों के आकाश में, मैं था उड़ने लगा
जिस्म कट के गिरा पाँखें वहीं रह गई
तेरी आँखों में देखा था जमाना मैंने
जमाना छूट-सा गया आँखे वहीं रह गई
तुझको सोचते - सोचते खो जाता हूँ मैं
ये जो भी है सिलसिला तेरी यादों का है
जेहन में बसा है महज एक निशां, जो भी है वो फकत तेरी यादों का है
तुमसे होना तो थी मगर हुई ही नहीं, कुछ नशा अधूरी उन बातों का है
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Super bhaiya ji