यूँ नहीं है के तेरे सिवा कोई नहीं है Poem by Raj Rathod

यूँ नहीं है के तेरे सिवा कोई नहीं है

स्वप्न है अंधियारे समझता कोई जुगनू नहीं है
हर किसी से दिल लगाऊं मुझे ऐसा जुनूँ नहीं है

और भी जिस्म है मेरे जिस्म की तसल्ली के लिए
चेहरे देख मोहब्बत करे मुझमे ऐसा खूँ नहीं है

अजनबी लबों पर कैसे लिख दूँ मैं गीत
कलम को गैर की तरन्नुम नहीं है

यूँ नहीं है के तेरे सिवा कोई नहीं है
तुझसे भी खूब है मगर उनमे तु नहीं है

Thursday, November 15, 2018
Topic(s) of this poem: hindi,love,love and dreams,love and life
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Raj Rathod

Raj Rathod

Khargone, India
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