प्यार के मौसम (मुक्तक सीरीज़) Poem by Raj Rathod

प्यार के मौसम (मुक्तक सीरीज़)

विरह धुप में जलते-जलते फिर से सावन आ जाये
मरुस्थल से रूखे सूखे में हरियाली यौवन छा जाये
एक बरसात जरुरी है बदन के प्यासे अंगो पर
बादल से बादल टकराये तो सारा समंदर समा जाये

तुमसे दूर रहकर भी दिल को आस तुमसे है
जो किसी से न था अब तक वही कुछ खास तुमसे है
यहाँ रिमझिम-सी बारिश में भी जो रह गया है अर्ध प्यासा
सुर्ख लबो के दरिया की वो ही प्यास तुमसे है

सिलवट में सिलवट का मौसम प्रीत का मौसम शीत का मौसम
करवट में करवट का मौसम प्रीत का मौसम शीत का मौसम
आहात में आहट का मौसम प्रीत का मौसम शीत का मौसम
मिलावट में मिलावट का मौसम प्रीत का मौसम शीत का मौसम

मीठी-सी आहों का मौसम प्रीत का मौसम शीत का मौसम
बाँहों में बाँहों का मौसम प्रीत का मौसम शीत का मौसम
स्वप्नों में खजुराहों का मौसम प्रीत का मौसम शीत का मौसम
कम्बल में गुनाहों का मौसम प्रीत का मौसम शीत का मौसम

Thursday, November 15, 2018
Topic(s) of this poem: heart love,hindi,love,love and dreams,love and friendship,love and life
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Raj Rathod

Raj Rathod

Khargone, India
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