मेरा गाँव Poem by Raj Rathod

मेरा गाँव

ना शहरों में
ना महलों में
ना भीड़ के घेरों में
हम रहते हैं
गाँव के बसेरों में
खिल-खिलाती रौशनी से
प्यार से मस्ती से
हम पल-बढ़कर आगे बड़े
गाँव की बस्ती से
जब बैठती है बुजर्गों की टोली
बच्चे भी मिलकर करे ठिठोली
सबसे पहले सूरज आ कर डेरा डाले
गन-गुनाती है कोयल की बोली
बच्चा - बच्चा झूम उठता
मौसम की शहनाई पर
प्रति दिन त्यौहार-सा माहौल
छाया रहता
धरा की हरियाली पर

Thursday, November 15, 2018
Topic(s) of this poem: hindi,village
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Raj Rathod

Raj Rathod

Khargone, India
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