बेटियां Poem by Raj Rathod

बेटियां

बेटियां पावन दुआएं हैं
बेटियां वही नौ कन्यायें हैं
जिनको पूजे धरती गगन
फिर क्यों मारते हो बेटियों को
बेटियां ही है आज का सूरज
बेटियां ही कल की दुआएं हैं
लवकुश, ध्रुव, प्रहलाद
जैसे बेटे दिए
बेटियों ने
भगतसिह, सुखदेव, राजगुरु
जैसे बेटे दिए
भारत आजाद कराने को
बेटियां वही माँ एवं ममताएं है
बेटियां पावन दुआएं हैं
बेटियां

कभी राधिका
कभी सीता

बनकर आयी है
कभी झाँसी की रानी बनकर
भारत माँ की लाज बचाई है
फिर क्यों मारते हो बेटियों को
बेटियों ने ही तो दुनिया बनाई है
फिर क्यों अत्याचार बेटियों पर?
क्यों मार कर इन्हें फेकते हो?
क्यों जन्म नहीं लेने देते बेटियों को?
जब बेटियां ही है सब कुछ
फिर क्यों बेवजह सजा देते हो?
क्यों बढ़ने नहीं देते आगे?
क्यों बेटियों को तुम सताते हो?
क्यों करते हो हैवानियत?
क्यों यम बनकर
बेटियों को
मौत के मुह में छोड़ आते हो?

Thursday, November 15, 2018
Topic(s) of this poem: daughter,daughters,hindi
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Raj Rathod

Raj Rathod

Khargone, India
Close
Error Success