इश्क़ का दीया जब हाथ लिया, चरागां दिल में हुई,
ऐ मुह्ताजे मुहब्बत बता, कहां तेरी रोशनी गई,
रोशनी की तलाश में दर-बदर भटकने वालो सुन लो,
इश्क़ नूर है, दिलो में जलता हुआ चराग है; ढूंढ लो
बहुत खूबसूरत. इश्क की हकीक़त को समझने वाले जानते हैं कि दुनिया का वजूद बनाये रखने के लिए बंदे और बंदे में तथा बंदे और खुदा के बीच इश्क होना ज़रूरी है. आपका मशकूर हूँ आफताब आलम साहब. |
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Love is light........A fantastic poem on love and its worth.