ढूंढ लो Poem by Aftab Alam

ढूंढ लो

Rating: 5.0

इश्क़ का दीया जब हाथ लिया, चरागां दिल में हुई,
ऐ मुह्ताजे मुहब्बत बता, कहां तेरी रोशनी गई,
रोशनी की तलाश में दर-बदर भटकने वालो सुन लो,
इश्क़ नूर है, दिलो में जलता हुआ चराग है; ढूंढ लो

Monday, December 15, 2014
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
Neela Nath Das 15 December 2014

Love is light........A fantastic poem on love and its worth.

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Ronjoy Brahma 15 December 2014

आच्चा हुआ,

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Rajnish Manga 15 December 2014

बहुत खूबसूरत. इश्क की हकीक़त को समझने वाले जानते हैं कि दुनिया का वजूद बनाये रखने के लिए बंदे और बंदे में तथा बंदे और खुदा के बीच इश्क होना ज़रूरी है. आपका मशकूर हूँ आफताब आलम साहब. |

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RANCHI,
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